निम्न रक्त चाप को ( Low Blood Pressure ) और डॉक्टरो की भाषा में इसे हाईपोटेंशन के नाम से भी जाना जाता है।
यह समस्या जब उत्पन होती है। जब किसी भी व्यक्ति के शरीर का ( Blood Pressure ) समान्य से कम हो जाता है।
जिस तरह अधिक ब्लड़ प्रेशर का होना नुकसानदायक होता है। उसी तरह निम्न रक्त चाप/ (Hypotension )
का होना भी उतना ही भयानक हो सकता हैं। भारत में हाई ब्लड़ प्रेशर के मरीजो की संख्या दिनों-दिन बढती
जा रही हैं। लेकिन लो ब्लड़ प्रेशर से पीडीत व्यक्तियों किसंख्या भी कोई कम नहीं है। परन्तु इस समस्या से
आप अपनी दिनचर्या में परीवर्तन करके कैसे बचे रह सकते है ( Low Blood Pressure ) बारे मे
आज हम आपको सम्पूर्ण जानकारी इस लेख के द्वारा देने जा रहें है।
लो ब्लड़ प्रेशर क्या होता है? -What is Low Blood Pressure in Hindi
इसे निम्न रक्तचाप या ( Hypotension) भी कहा जाता है। अगर सामान्य रूप से देखा जाय तो हमारे शरीर में रक्त
के बहाव का एक माप होता है। जो (120/80) ” सिस्टोलिक/ डायस्टोलिक ” एमएम एचजी होता है। परन्तु बदलते
जीवन स्तर और अन्य कहीं कारणो से यह (90/60) सिस्टोलिक/डायस्टोलिक एमएम एचजी से कम हो जाता है
तो इसे लो ब्लड़ प्रेशर कहते है। ( B.p. Low )होने का जोखिम आमतौर पर उम्र के बढने के साथ ही बढता है।
रक्तदाब मापी -Sphygmomanometer
स्फैग्मोमैनोमिटर एक मशीन होती है जिसके द्वारा हाई और ( Low Blood Pressure ) का पता लगाया जाता है।
इसके द्वारा सामान्यरक्तचाप होने पर ( 120/80 ) एमएम एचजी दर्शाया जाता है। इससे ज्यादा होने पर हाई ब्लड़ प्रेशर
की समस्या उत्पन हो जाती है। और लो ब्लड़ प्रेसर (90/60) एमएम एच जी के रूप मे दर्शाया जाता है।
इसके कम होने परलो ब्लड़ प्रेशर की समस्या कहलाती है।
लो ब्लड़ प्रेशर के प्रकार -Type Of Low Blood Pressure in Hindi
1.खडे़ होने के बाद रक्तचाप में कमी आना –
बैठे हुए या लेटे हुए व्यक्ति का अचानक खडे़ होने पर आखों के आगे अंधेरा होना या चक्कर का आना ये
लो ब्लड़ प्रेशर के कारण होता है। इसे पोस्टरॉल या ( आर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन ) भी कहते है।
2. दिमागी संकेतों की अव्यवस्था के कारण बीपी की कमी –
इस तरह का लो ब्लड़ प्रेशर लम्बें समय तक खडे होकर कार्य करने पर ( B.p.) की कमी हो जाती हैं।
यह ज्यादातर बच्चों और युवाओं में ज्यादा देखा जाता है। इसे न्यूरली मेडिएटेड हाइपोटेंशन भी कहते है।
3. पाचन शक्ति की कमी के कारण बीपी लो –
तंत्रिका तंत्र के क्षति ग्रस्त होने से होता हे। खाने के तुरन्त बाद होने वाला लो ब्लड़ प्रेशर खाने बाद भी
अचानक लो ब्लड़ प्रेशर हो सकता हैं। इसे ( पोस्टप्राणदियल ) भी कहते है।
लो ब्लड़ प्रेशर के लक्षण – Symptoms Of Low Blood Pressure in Hindi
लो ब्लड़ प्रेशर के लक्षण कोई विशेष नहीं होते लेकिन इन लक्षणों को नजरअदांज करने पर यह भयानक साबित
हो सकते है। क्योंकि इन लक्षणों पर ध्यान ना देने पर यह जान लेवा बिमारी का कारण बन सकते है।
इसके लक्षण निम्न प्रकार के होते है।
1.अधिक समय से लगातार चक्कर आना
2. सिरदर्द का लम्बे समय तक बने रहना
3. आंखो से धूध्ाला दिखाई देना
4. जी मचलाना/ उल्टीया होना
5. तनाव महसूस करना
6. शरीर का पीला पड़ जाना
7. हाथ पैरो का ठंडा पड़ जाना
8. सांस लेने में परेशानी होना
9. अधिक प्यास लगना
10. खून की कमी होना
11. कमजोरी महसूस करना
यह सभी लक्षण बी. पी. लो होने का कारण हो सकते है। इनमें से कोई भी लक्षण आप या आप के परिवार
में किसी में भी दिखने पर तुरन्त डॉक्टर से सर्म्पक करें।
लो ब्लड़ प्रेशर के कारण -Causes Of Low Blood Pressure in Hindi
पानी की कमी से बीपी लो होना
शरीर में पानी की कमी होने पर भी बीपी लो हो सकता है। क्योंकि पानी की कमी होने से हमारे
शरीर में निर्जलीकरण की समस्या उत्पन हो जाती है। और शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सिजन नहींं मिल पाती
और व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
गर्भवती महीलाएं –
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में कहीं परिवर्तन देखने को मिलते है। जो पौषण महीलाऐ लेती है उसका कुछ
हिस्सा शिशु भी ग्रहण करता है जिसके चलते गर्भवती महिलाओं में खून की कमी आ जाती हैं। और वह
लो बीपी का शिकार हो जाती है।
ग्लूकोज की कमी होना –
खेलते समय या फिर अधिक वर्क आउट करने से पसीना निकलता है। जिससे ग्लूकोज की कमी हो जाती है। जो ब्लड
प्रेशर लो होने का कारण बन सकता है।
हृदय का अस्वस्थ होना –
हार्ट अटैक के रोगीयो में हृदय की कार्य क्षमता कम होने से भी ( Low Blood Pressure ) हो सकता है।
विटामिन की कमी होना –
मल्टीतविटामिन की कमी होने से भी बी.पी. लो हो सकता है।
डिहाइड्रेशन-
(B.P. Low) होने का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है। जब हम समय से खाना नही खाते व पानी नहीं पीते है
तो शरीर को पर्याप्त मात्रा में आहार नही मिल पाता और व्यक्ति को चक्कर आने लगते है जौ बीपी लो होने
का ही एक कारण है।
अधिक दवाओं का सेवन करना –
दवाइयों का अधिक सेवन करने से भी व्यक्तियों को लो ब्लड़ प्रेशर की समस्या उत्पन हो सकती है। जैसे अधिक
पेनरीलिप, मेनफार्स, वियाग्रा जेसी दवांओ का अधिक सेवन करने से लिवर कमजोर पड़ जाताहै। और बीपी लो का
कारण बन जाता है।
लम्बे समय तक बीमारी से ग्रहसित रहना –
अगर को भी व्यक्ति किसी बीमारी से लम्बे समय से पीडित है । तो उसका शरीर कमजोर पड जाता है और वह बीपी
लो का शिकार हो जाता है।
कब्ज –
जैसा की हम सब जानते है की ज्यादतर बीमारीया हमारे शरीर मे गैस के बनने से होती है और हमारे ऋषी मुनीयो ने
भी हमारे शरीर मे समस्त रोगो का कारण वात, पीत, कफ को ही बताया है।
बीपी लो के उपाय B.P.Take Measures in Hindi
लो ब्लड़ प्रेशर से बचने के लिए सबसे महत्पूर्ण तथ्य यह है कि आप अपनी जीवन शैली को सुधारकर ही इससे
बचें रह सकते है क्योकि बदलते जीवन स्तर के चलते व्यक्तियो की रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म होती जा रही है।
स्वच्ध आहार का सेवन करे –
ब्लड़ प्रेशर से बचने के लिए अपने खान -पान का व्यवस्थित हो आवश्यक है। क्योकि भोजन हि एक मात्र उपाय है
जिससे हमारे शरीर की आवश्यक तत्वों की पूर्ति होती है। इसलिए भोजन मे हमेशा फल, सब्जियों व
सलहाद का उपयोग करे । सी फूड’ जैसे मछली का भी सेवन कर सेकते है।
शराब का सेवन कम करें –
शराब पीने से हमारे शरीर में नशे के साथ-साथ गरमी भी उत्पन होती है जिसके चलते शरीर में पानी
की कमी हो सकती हैं। और ‘ निर्जलीकरण ‘ का कारण बन सकता है। इसलिए शराब का सेवन कम करें।
दवाइयों का उपयोग –
दवाइयों का समय पर उपयोग करके भी लो ब्लड़ प्रेशर से बचा जा सकता है।
कार्बोहाइड्रट –
ब्लड़ प्रेशर कहीं बार भोजन करने के बाद लो हो जाता है इसका महत्वपूर्ण कारण कार्बो युक्त पदार्थो का अधिक
सेवन करने से होता है इसलिए खाना हमेशा थोड़ा-थोड़ा करके करें और भोजन में आलू, चावल, पास्ता जैसे उच्च
कोर्बोहाइड्रेट युक्त वस्तुओं का कम से कम सेवन करें
चाय-
चाय का उपयोग करके भी आप लोग ब्लड़ प्रेशर को सामान्य कर सकते है क्योकि चाय/कोफी मे ( कैफिन )
पाया जाता है। शरीर से सूस्ती हटाकर ब्लड़ प्रेशर को बडा़ने का कार्य करता है
बी. पी. लो के घरेलु उपाय -Home Remedies For Blood Pressure in Hindi
ब्लड़ प्रेशर की अव्यवस्था होने पर पहले हमारा ध्यान घरेलु उपायों पर ही जाता है क्यों कि हमारे आस – पास दैनिक
जीवन में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं से भी इस समस्या का समाधान किया जा सकता है।
पानी अधिक पीऐ –
लो ब्लड़ प्रेशर से बचने के लिए अधिक पानी पीना चाहिए क्योंकि अधिक पानी पीने से शरीर मे मिनरल की कमी
नही होती है। और हम बीपी लो जैसी समस्या से बचे रह सकतें है।
तुलसी –
रोजना 5 से 6 तुलसी के पत्ते सेवन करने से बीपी की परेशानी समाप्त हो जाती है। क्योकि तुलसी एक औषधीय
पौधा है यह बीपी के साथ और भी कही बीमारीयो को निदान करते है
छाछ/लस्सी का सेवन करें –
छाछ में नमक ,भूना हुआ जीरा मिलाकर सेवन करे इससे भी ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है।
ऑवला –
इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन सी होता है ऑवले के रस मे शहद मिलाकर खाने से बीपी की समस्या
समाप्त हो जाती है। आप आवले का मुरब्बा भी सेवन कर सकते है।
दालचीनी –
चाय में दालचीनी मिलाकर इसे सेवन करने से भी लो ब्लड़ प्रेशर को सही किया जा सकता है।
ब्लड़ प्रेशर का होम्योपैथी दवाइया -Homeopathic Medicines Of Blood Pressure in Hindi
ब्लड़ प्रेशर का इलाज ( होम्योपैथी ) में भी बहुत ही सरल व अच्छा माना गया है। क्योकि होम्योपैथी दवाओं से Blood Pressure )
को खत्म करके शरीर को ठीक करने की क्षमता बढ़ती है। जिससे मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है।
जेल्सीमियम Gelsemium –
इस दवां का उपयोग चक्कर आना, हल्का सिरदर्द, आंखे भारी होना, धीरे -धीरे सांस लेना आदि लक्षणों के दिखने पर
इसका प्रयोग किया जाता है।
कार्बोवेजीटेबिलिस Carbo vegtabilis-
त्वचा का रंग नीला पडना, रक्त संचार कम होना , अधिक कमजोरी होना, नब्ज बहुत धीरे चलना आदि मे इसका
प्रयोग किया जाता है।
नैट्रम म्यरिएटिकम Natrum muriation –
सिर में तेज दर्द होना, सुबह के समय लक्षण अधिक गंभीर होना लम्बे समय से सिर दर्द की समस्या बनी रहना आदि।
यह सभी दवांइया आयुर्वेदिक जडीबूटियों के घोल से ही बनती है परन्तु इनका सेवन करते समय कुछ परहेज की
आवश्यकता होती है। इसलिए डॉक्टर की सलाह पर ही इन दवांओ का सेवन करें ।
ब्लड़ प्रेशर की जॉचे- Check Blood Pressure in Hindi
Sphygmomanomete ‘स्फैग्मोमैनोमिटर’-
बीपी की जॉच के लिए सामान्यतौर पर “स्फैग्मोमैनोमिटर” का उपयोग किया जाता है। इस जॉच में एक पटटे को हाथ में
बांधकार पटटे में प्रेशर डाला जाता है जिससे बीपी का पता लगया जाता है।
E.C.G इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम –
इससे हृदय में आइ बी पी की वजह से परेशानीयो का पता लगाया जाता है।
Blood Test खून की जांच –
इसमें हिमोग्लाबिन की कमी , ग्लूकोस की कमी , थायरोइड की कमी जॉच करके बीपी का पता लगाया जाता है।