बदहजमी (अपच ) Indigestion जिसे अजीर्ण भी कहा जाता है। यह व्यक्तियो में होने वाली आम समस्या है यह
समस्या युवा वर्ग , बुड़ो ,बच्चो किसी भी उर्म में हो सकती है। जिसके पीछे सबसे बडा कारण भोजन की अव्यवस्था
को ठहराया जा सकता है। जैसे समय पर भोजन न करना, भोजन करने के तुरन्त बाद सो जाना अत्यधिक, जंक फूड
का सेवन करना ,अधिक धूम्रपान करना आदि जिससे आपके पेट के उपरी हिस्से मे जलन होने लगती है आप को
असहज महसूस होता है किसी काम में मन नही लगता है। आज हम इसे लेख के द्वारा बदहजमी (अपच )
Indigestion क्या होती है इसके होने के कारण, लक्षण, उपाय और घरेलु उपायो की पूरी जानकारी देगे जिसे
आप अपनी समस्याओ का समाधान करके हमेंशा स्वस्थ रह सकेगें।
बदहजमी (अपच) क्या होती है ? – What is Indigestion in Hindi
बदहजमी (अपच) Indigestion होने का मत्वपूर्ण कारण भोजन की अव्यवस्था को माना जाता है
अपच होने में कभी-कभी पांचन तंत्र का धीमी गती से कार्य करना भी हो सकता है पेट की खराबी को बदहजमी की
समस्या कहते है। जिसे मडिकल की भाष में डिसपेपसिया भी कहते है। यह समस्या बासी खाना खाने या खाना अधिक
खाने से भी होती है बदहजमी की समस्या के और भी कही कारण हो सकते है। जिसे कही और बडी बीमारी का संकेत
माना जाता है।
बदहजमी (अपच) होने के कारण – Due to Indigestion in Hindi
अपच के कहीं कारण हो सकते है जो निम्न प्रकार है।
- भोजन का अधिक खाना।
- भोजन करने के तुरन्त बाद सो जाना।
- बाहर का भोजन फास्ट फूड़ का अधिक सेवन करना ।
- तीखा और मसालेदार भोजन करना ।
- शराब का व अन्य मादक पदार्थो का अधिक सेवन करना ।
- अधिक वसा युक्त भोजन करना ।
- चाय , कॉफी का ज्यादा सेवन करना ।
- हर्निया के कारण अपच होना ।
- अल्सर के कारण अपच होना।
- मोटापा बढने से।
- तनाव के कारण ।
बदहजमी (अपच) होने के लक्षण – Symptoms of Indigestion in Hindi
बदहजमी (अपच) होने पर सबसे कम दिखाई देने वाले लक्षण में उल्टी और डकार हैं। कभी – कभार व्यक्ति में
अपच होने पर सीने में जलन भी होती है। लेकिन यह समस्या खाना खाने के बाद होती है। इसके और भी
कहीं लक्षण है जो निम्न है।
- जी मचलना
- पेट फूलना
- मन घबराना
- सीर दर्द होना
- उल्टी होना
- चक्कर आना
- पेट दर्द होना
- मुंह और सांसो से बदबू आना
- दस्त लगना आदि।
बदहजमी (अपच) के जोखिम जटिलताएं – Risk Complications of Indigestion in Hindi
1. जोखिम – अधिक शराब का सेवन करना
अपच होने पर एस्पिरिन दर्द निवार्ण दवांइओं का उपयोग करना
भावनात्मक समस्याएं, जैसे – चिंता या तनाव आदि।
2.जटिलताएं – बदहजमी (अपच) जिसे अजीर्ण भी कहते है यह एक समान्य समस्या है जो किसी को भी हो सकती है।
इससे कोई गभीर पेरेशानी नही होती परन्तु अजीर्ण होने पर आप असहज महसूस करते है। और किसी काम में मन नही लगता
बदहजमी (अपच) की जांच – Indigestion Test in Hindi
अपच होने पर आप दवां गोली या किसी प्रकार के चुरन लेने पर ठिक नही होते है तो अपने डॉक्टर से मिले
वह आपको अपच से होने वाली परेशानी व बेचेनी को समझने मे सहायक होता है। एसी स्थिती में चिकित्सक आपको निम्न जॉच की सलाह देता है
- खून की जॉच
- अगर आपको अल्सर कि समस्या है तो एच पाइलोरी श्वास परीक्षण करवाया जाता है।
- छोटी आंत का बेरियम एक्स -रे की आवश्यकता भी हो सकती है।
- गैस्टोस्कोपी की भी आवश्यता पढ सकती है।
बदहजमी (अपच) से बचने के तरीके- Ways to Avoid Indigestion in Hindi
जैसा की हमने लेख में बताया है की बदहजमी या अजीर्ण भोजन की अव्यवस्था का कारण है कभी- कभी भोजन
प्रेमी लोग भोजन का अधिक सेवन कर लेते है और पेट की अपच जैसी समस्या का शिकार हो जाते है। इस गंभीर
समस्या से बचन के लिए निम्न उपाय किये जा सकते है।
- एक साथ भोजन करने की आदत को छोडकर तीन चार बार टूकडो में भोजन करना चाहिए।
- थोडा -थोडा करके बार-बार पानी पीना चाहिए
- अपच होने पर पूरा दिन कुछ ना खाएं अपच स्वतः ही ठिक हो जाती है।
- शराब, चाय, तम्बांकू, गुटखा जैसे मादक पदार्था का सेवन ना करें। और घरेलू नूस्को का इस्तेमाल करे जो लेख मे
अच्छे तरीके से बताए गये है।
बदहजमी (अपच) इलाज – Indigestion Treatment in Hindi
अपच से बचने के लिए कहीं प्रकार के उपयो किये जाते है। जिनमें बदहजमी को समाप्त करने के लिए बाजार
में ’’ENO’’ कायमचूर्ण आदि का उपयोग किया जाता है।
बदहजमी या अजीर्ण को समाप्त करने के लिए कही प्रकार की दवाओं को उपयोग किया जाता है।
1.एंटीबयोटिक (Antibiotic) : खराब भोजन करने से पेट में किटाणुओं उत्पन्न होने के कारण पेट दर्द ,दस्त और अजीर्ण
की समस्या हो जाती है। तब डॉक्टर आपको रिफैक्सिमिन , सिप्रोफ्लोक्सासिन , टेट्रासाइक्लिन आदि का उपयोग।
2.प्रोकाइनेटिक्स (Prokinetics) : पाचन तंत्र के द्वारा भोजन की पाचन क्रिया धीमी होने पर उपयोगी होता है।
3.प्रोटॉन पंप इनहिबिटर्स (Proton Pump Inhibitors)PPI– सीने में जलन होने पर इसके द्वारा पेट की अम्लता को कम किया जा सकता है।
बदहजमी (अपच) घरेलू उपाय – Indigestion Home Remedies in Hindi
अजीर्ण (अपच) होने पर हम सबका सबसे पहले ध्यान घरेलु उपायो पर जाता है क्योंकि अपच एक बहुत ही साधारण
समस्या है। जो भोजन से जुडी हुई है
बदहजमी होने पर गीली पटटी का उपयोग बहुत ही उपयोगी माना जाता है। भीगी हुई पटटी को कमर या नाभी पर
बाधने से जल्द ही आराम मिलता है।
बदहजमी (अपच) होने पर व्रत Fast बहुत ही कारगर उपाय है अजीर्ण होने पर उस दिन कुछ नही खाना चाहिए
उस दिन बार – बार पानी ,नीबू पानी, छाछ के उपयोग से बदहजमी स्वतः ही समाप्त हो जाती है।
सेब (Apple) – सेब का सीरका जिसे जूस भी कह सकते है। अपच होने पर सेवन करने से तुरन्त आराम मिलता है।
नीबू (lemon) – बदहजमी होने पर नींबू को काटकर उसमे 2 से 3 काली मिर्च पीसकर और चूटकी भर काला
नमक नींबू पर लगा कर दिन में 2 से 3 बार चूसने से जल्द ही बदहजमी समाप्त हो जाती है।
दही (Curd)- अपच की समस्या में मटठा बहुत ही कारगर पेय पदार्थ है। इसका सेवन करने से अपच की समस्या
समाप्त हो जाती है।
हरी सब्जियों का सेवन करना भी बदहजमी (अपच) को जड़ से समाप्त कर देता है।
बदहजमी (अपच) होम्योपैथिक इलाज – Indigestion Homeopathic Treatment in Hindi
अपच के होम्योपैथिक दवांओ की बात करे तो यह अपच की स्थिती के उपयोग में लेना होता है
किसी को अजीर्ण कि समस्या नई उभरकर सामने आई है तो उन्है निम्न दवाइयो के उपयोग की सलाह दी जाती है।
- नक्सवोमिका (Nux vomica)– इसका उपयोग बार-बार दस्त आने खटटी डकार के साथ पानी मुह में आने पर किया जाता है।
- पल्सेटिला (pulsatilla) – भारी भोजन करने या चीकन ,मटन जैसा मांस युक्त चीजो के खाने से अजीर्ण होने पर पल्सेटिला का
उपयोग किया जाता है ।
- कोलोसिंथ(colocynth) – अधिक खटटा खाने के कारण अजीर्ण होने पर इसका इस्तेमाल किया जाता है।
पूरानी बदहजमी
- कार्बोवेज(Carboways) – बदहजमी के कारण आंतो में गैस के भरने से पैट के निचले हिस्से में दर्द होना चक्कर आना ,
चिड़चिड़ापन होने पर इस दवां का उपयोग किया जाता है।
- अर्निया , थूजा (Arnia, thuja)– कॉफी, चाय या अधिक खटटे पेय पदार्थ के सेवन के कारण हुई बदहजमी होने पर उपयोग
किया जाता है।
बदहजमी (अपच) योगासन – Indigestion Yoga in Hindi
मनढूक आसन – इस आसन में घुटना को मोडकर पेर के दोनो अघुठो को मिलाकर एडियो को फेलाकर पेरो पे
बेठकर दोनों हाथों की मुट्ठीया बंद करके नाभी पर रखकर आगे की और झूकते है।
उत्थानपाद आसन – सावधान की स्थिती में लेटकर पेरो को हवा में उठाया जाता है।
सेतुबन्ध आसन– इस आसन को करने के लिए पिठ के बल लेटकर पेरो को धुटनो से मोडकर कमर को बीच में से
उठाकर कन्धे और सिर के सहारे हाथो से पेरो को पकडना होता है।
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