कोलन इंफेक्शन – Colon Infection in Hindi

कोलन इंफेक्शन (Colon Infection) हमारी पाचन प्रणाली भोजन को पचाने का कार्य करती है। जिसकी पांचन प्रणाली

ग्रासनली से पेट ,छोटी आंत ,बड़ी आंत मिलकर पांचन तंत्र बनाते है। बड़ी आंत कोलन से शुरू होती है जो 5

फीट लम्बी होती है। जो मलाशय (Rectum) मलद्वार में समाप्त होती है।

जब व्यक्ति भोजन करता है तो शरीर द्वारा पचाने के बाद तरल और कठोर भाग को अलग- अलग करता है।

उस समय अपशिष्ट पदार्थ कोलन अर्थात मलाशय मे जमा होता है। और मल के रूप में बाहर निकलता है।

इस प्रक्रिया के पूर्ण होने में परेशानी आने पर अंदरूनी परत में सूजन व संक्रमण हो जाता है। इस समस्या

से पूर्ण रूप से छूटकारा पा सके इसलिए हम आपको कोलन इंफेक्शन (Colon Infection) की सम्पूर्ण

जानकारी देकर आपके स्वास्थ्य के प्रति चिंता को कम करने का प्रयास किया है।

कोलन इंफेक्शन क्या है? – What is Colon Infection in Hindi


कोलन इंफेक्शन (Colon Infection) को कोलाइटिस भी का जाता है इस के होने का सबसे बड़ा कारण इंफेक्शन

और बैक्टिरिया वायरस के कारण खराब रक्तपूर्ति से कोलन में सूजन आने से कोलन इंफेक्शन होता है। इस बीमारी

से ग्रस्त व्यक्ति को दस्त , पेट दर्द ,बुखार जैसी समस्याऐ होती है। जो गंधा पानी पिने खराब भोजन करने और सफाई

का ध्यान नहीं रखने से होता है।

कोलन बड़ी आंत का ही भाग होता है। भोजन से तरल अलग होकर अपशिष्ट पदार्थ कोलन मे जमा होकर मलद्वार से

बाहर निकाले कार्य करता है। परन्तु मल के जमने से हुए इंफेक्शन कोलन इंफेक्शन (Colon Infection) कहते है।

कोलन इंफेक्शन क्यों होता है – Why Do Colon Infections Happen in Hindi


कोलन इंफेक्शन (Colon Infection) होने के पिछे हमारे द्वारा सेवन किये गए भोजन का दुषित रूप और दुषित

पानी पीने से रक्त में अशुधी उत्पन्न हो जाती है। जिससे कोलन इंफेक्शन होता है। इसके लम्बे समय तक रहने से है।

एड्रोक्राइन टयूमर (endocrine tumor) और कोलोरेक्टल कैंसर (colorectal cancer) का खतरा बढ़ जाता है।

कोलन इंफेक्शन के लक्षण – Symptoms of Colon Infection in Hindi

कोलन इंफेक्शन में पेट में सूजन आना और फ्लू का होना मुख्य लक्षणों में शामिल है। परन्तु गंभीर स्थित के

कारण कहीं और भी लक्षण देखें जा सकते है। जैसे –

  • पेंट में ऐंठन
  • लगातार पेंट में दर्द रहना
  • बुखार आना
  • वजन कम होना
  • शरीर के जोड़ (जोइंट) दूखना
  • लाल रंग का पेंशाब (रक्त आना )
  • त्वचा का रंग पिला होना
  • इंफेक्शन से कोलन में लालिमा
  • पानी की कमी होना
  • दस्त लगना
  • कोलन कें उतक मं सूजन आना
  • उल्टी आना जी घबराना
  • भूख न लगना

कोलन इंफेक्शन के कारण – Due to Colon Infection in Hindi


कोलन बड़ी आत में जठरात्र के आखिर में होता है। यह हमारे द्वारा किये गये भोजन के पाचन के बाद

तरल और अशिष्ट पदार्थ को अलग करके मलाशय में पहुचाता है जो मलद्वार से बाहर निकल जाता है।

कोलन के क्षेत्र अधिक होने से इसमें इंफेक्शन का खतरा अधिक होता है। जिसके कारण निम्न है।

1.बड़ी आंत के संक्रमण मे बैक्टीरिया जुड़ होते है।

2.बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण शरीर में चकते हो सकते है। जिनमें कुछ मामलों में अस्पताल में भर्ती करवाने की
जरूरत होती है।

3. दूषित भोजन और पानी के कारण पेट में गंभीर संक्रमण होता है। संक्रमण के कारण किडनी की बीमारी ,पेशाब कम

आनेकी समस्या होती है।

4.कुछ लोगो में साफ-सफाई के अभाव के चलते इस परेशानी का कारण बन जाते है। जैसे हाथ धोय बिना भोजन करना

गंदगी में रहना ।

5.रोटावायरस , एडिनोवायरस यह ऐसे वायरस है जो कोलन इंफेक्शन (Colon Infection) का कारण बनते है।

6.यौवन संचरित संक्रमण मलाशय को प्रभावित करता है। इन संक्रमण में HIV, हर्पिस सिंपलेक्स वायरस क्लैमाइडिया

टै्रकोमैटिस, नेइसेरिया गोनोरिया।

7.साल्मोनेला एक प्रकार का बैक्टीरिया है जो आंत में मौजूद होता है। जो अधकच्चा मिठ और बिना गर्म किया गया दूध के

सेवन करने से शरीर में पहुचकर बैक्टरियल इंन्फेक्शन का कारण बनता है।

कोलन इंफेक्शन का निदान – Diagnosing Colon Infection in Hindi

गैस की समस्या ज्यादा होने पर कोलन इंफेक्शन (Colon Infection) केलक्षण नजर आने लगते है। जिनका निदान निम्न

प्रकार के है।कोई भी डाक्टर इलाज करने से पहले आपकी पिछली बीमारी और जिवन शैली के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

के बाद ही इलाज शुरू करता है।

1.शारीरिक परीक्षण में डाक्टर सूजन की जॉच करते है। और पांचन तंत्र की जांच करते हैं।

2.आवश्यकता पडने पर डॉक्टर आपकी परेशानी का पूर्ण रूप से जांच करने के लिए

3.ब्लड़ टेस्ट

4.स्टूल टेस्ट

5.एक्स-रे

6.सोनोग्राफी

7.डायग्रोटिस्क टेस्ट

8.वर्चुअल कोलोनोस्कोपी -बड़ी आंत की जांच के लिए एक विषेश जांच के रूप में सीटी स्कैन किया जाता है। इसे

कोलोनोस्कोपी कहते है।

9.बायोप्सी – इस परिक्षण में में बड़ी आंत के अंदर हो रहै टयूमर का छोटा हिस्सा निकालकर उसकी माइक्रोस्कोप

के द्वारा जांच कि जाती है।

कोलन इंफेक्शन से बचाव – Colon Infection Prevention in Hindi


जैसा की हम सब यह जानते ही की कोलन इंफेक्शन(Colon Infection) पेट के अंदर बड़ी आंत में होता है। जो हमारे

द्वारा किये गये भोजन का पांचन कर व्यर्थ पदार्थ को मलद्वार से बाहर निकालने का कार्य करती है।

सही मायने में देखा जाए तो कोलन इंफेक्शन हमारे भोजन व्यवस्था पर निर्भर करता है। इसके बचाव व

रोकथाम के लिए हमें निम्न उपाय कर सकते है।

  • अधिक से अधिक पानी पीने से कोलन इंफेक्शन से बचा जा सकता है।
  • स्वच्छ और ताजा भोजन करें ठंडा भोजन ना करें
  • भोजन करने से पहले अच्छे से हाथ साफ करें
  • सेहतमंद पेय पदार्थो का सेवन करें जेसे दूध, दही , छाछ ,फलों का जूस , नीबू पानी , नारियल पानी आदी का सेवन करे
  • अलग – अलग मौसम में सभी फलों का अपना ही एक महत्व होता है। इस लिए मौसमी फलों का उपयोग करें ।
  • भोजन में फाइबर युक्त चीजो को उपयोग में ले।

कोलन इंफेक्शन का इलाज – Colon Infection Treatment in Hindi


कोलन इंफेक्शन (Colon Infection) का इलाज शरीर के भीतर हुए इंफेक्शन की स्थिती पर निर्भर करता है।

कि यह किस कारण हुआ है । सामान्य तौर पर कुछ तरह के संक्रमण जैसे साल्मोनेला की स्थिती में एंटिबायोटिक

और अन्य दवांओ की आवश्यकता नही पड़ती यह धीरे-धीरे स्वतः ही फाइबर युक्त भोजन अधिक रूप में तरल

पदार्थो का सेवन करने से यह इंफेक्शन समाप्त हो जाता है।

यदि संक्रमण बैक्टीरिया की वजह से हुआ है तो एसी स्थिती में एंटीवायरल दंवाइयो का उपयोग किया जाता है।

और कुछ दवांइयों को ड्रिप द्वारा सीधा नसों के जरिये शरीर में पहुचाया जाता है।

गैस्टिक संक्रमण के कारण मतली , उल्टी और गंभीर रूप से दस्त होने शरीर में पानी की कमी हो जाती है जिससे

निर्जलीकरण की समस्या उत्पन हो जाती है। जिसे समाप्त करने के लिए ORS के घोल का उपयोग

किया जाता है। और गंभीर स्थिती में अस्पताल में भर्ती करवाने की जरूरत होती है।आवश्यकता पडने पर

सर्जरी की भी करनी पड़ सकती है।

कोलन इंफेक्शन में एंटी बायोटिक दवांओ का उपयोग दर्द कम करने और संक्रमण के अधिक होने पर

रोक लगाने के लिए किया जाता है।

कोलन इंफेक्शन के जोखिम – Colon Infection Risk in Hindi


कोलन इंफेक्शन साधारणत स्वतः ही समाप्त हो जाता है परन्तु उसके लिए फाइबर युक्त भोजन और अधिक पेय पदार्थो

का सेवन कारना आवश्यक होता है। परन्तु इस समस्या का गंभीरता से इलाज ना करने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता

कमजोर होना, बवांसीर व कैंसर जैसी समस्या हो सकती है। जिससे व्यक्ति कि मौत भी हो सकती है।

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