पित्ताशय की सूजन (Cholecystitis) हमारे शरीर में होने वाली एक समस्या है जो किसी भी व्यक्ति को हो सकती है।
यहपरेशानी 30 से 50 वर्ष के व्यक्तियों अधिक देखी जाती है। पित्ताशय में भोजन को पचाने वाले रसो का
निर्माण और हमारे द्वारा ग्रहण किये गऐ पदार्थो का अंश पित्ताशय में संग्रहित होता है। यह पित्तरस पित्ताशय
में जमा होकर पथरी का निमार्ण करते है जो पित्ताशय के मार्ग बंद कर देते है । जिससे पेट कि समस्याएं
शुरू होने लगती है। लेकिन इस लेख के द्धारा पित्ताशय की सूजन (Cholecystitis) के समस्त लक्षण , कारण , निवार्ण
केबारे में जानकारी देगें जिससे आप हमेशा स्वस्थ रह सकें ।
पित्ताशय क्या है? – What is Gallbladder in Hindi
पित्ताशय हमारे शरीर का ही एक अंग है। जो नाशपती के आकार का लिवर से जुड़ा होता है।
जिसका कार्य पित्तरस को एकत्रित करना है। छाटी आंत मे पहुचाता है। जो हमारे द्वारा सेवन किये गये
पदार्थो को पचाने का कार्य करता है।
पित्ताशय की सूजन क्या है? – What is Cholecystitis in Hindi
पित्ताशय की सूजन (Cholecystitis)को गालब्लैडर की सूजन भी कहते है। इसमें सूजन आने का सबसे महत्वपूर्ण
कारण पत्थरी को माना जाता है। जो कोलेस्ट्रॉल और केल्सियम के लवणों से बनी होती हैं। जो पित्तमार्ग में फसने से
मार्ग बंद हो जाता है।जो पित्ताशय की सूजन (Cholecystitis)का कारण बन जाता है।
पित्ताशय की पथरी – Gallstones in Hindi
पित्ताशय की पथरी (Gallstones) में पित्त पदार्थ कठोर होकर जमने लगते जिससे कहीं कण तैयार होने लगते है।
जो रेत के कणों से लेकर गोल्फ बॉल की तरह के भी हो सकते हैं। इन्हीं में से बड़े कण पित्त नलिकाओं
में फसकर मार्ग का अवरूध कर देते है। जो पित्ताशय की सूजन (Cholecystitis) का कारण बनते है।
पित्ताशय के प्रकार – Types of the Cholecystitis in Hindi
पित्ताशय में सूजन के निम्न दो प्रकार हो सकते है।
1.पथरी – यह पित्ताशय की सूजन (Cholecystitis) का सामान्य प्रकार है जो पित्ताशय में पथरी के कारण होने वाली
रूकावट से होता है। यह सूजन एक तरह की आम सूजन मानी जाती है जिससे कोई गंभीर स्थिती उत्पन नहीं होती है।
2.पित्ताशय में चोट या इन्फेक्शन – यह पित्ताशय में होने वाली गंभीर समस्या है। जो पित्ताशय में गंभीर क्षति व चोट
लगने या कोई बड़ा ऑपरेश होने , ब्लड़ इन्फेक्शन , कुपोषण, और एड्स को क्षतिग्रस्त करने के मुख्य कारण है।
पित्ताशय की सूजन के लक्षण – Symptoms of Cholecystitis in Hindi
कुछ ऐसी भी पित्ताशय में होने वाली पथरी होती है जो कहीं वर्षो तक अपने लक्षणों को छिपाऐं रखती है।
जिन्हें साइलेंट स्टोन कहते है। इस तरह के लक्षण शुरूआत में नहीं दिखाई देते लेकिन जब पथरी अपना
एक निश्चित आकार (8 से 10 mm) तक ले लेती है। तो इसके लक्षण दिखाई देने लग जाते है।अन्य लक्षण निम्न प्रकार है।
- पेट में उभार सूजन महसूस होना।
- ठिठूरन झनझनाहट होना ।
- मल का रंग मिटटी की तरह होना ।
- बुखार आना।
- पीलीया के लक्षण ’आखों और त्वचा का रंग पीला होना।
- जी मचलना और उल्टी होना ।
- लगातार पेट में दर्द रहना और भोजन करने के बाद तेज दर्द होना।
पित्ताशय की सूजन के कारण – Causes of Cholecystitis in Hindi
पित्ताशय की सूजन (Cholecystitis) आने के पिछे सबसे महत्वपूर्ण कारण पित्ताशय की पथरी को माना जाता है। पित्त
की पथरी उन नलिकोओं के रास्ते को बंद कर देती है। जिनसे पित्त बाहर निकलकर आंत में जाकर भोजन को पचाने का
कार्य करती है।परन्तु पित्ताशय की सूजन (Cholecystitis) के और भी कारण हो सकते है। जो निम्न है।
1.40 वर्ष की उर्म के बाद पित्ताशय की सूजन का खतरा बढ़ना
2.वजन का तेजी से कम होना या बढ़ना ।
3.मोटापा कोलेस्टरॉल का सामान्य से अधिक होना
4.महिलाओं में समय से पहले महावारी का रूक जाना ।
5.मेलाटोनिन की कमी होना ।
6.वंशानुगत ।
7.हार्मोन का बदलना ।
8.पित्ताशय नलिकाओं में गाठ का होना ।
9.कोई बड़ा ऑपरेशन।
10.डायबिटिज का होना ।
11.रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना ।
पित्ताशय की सूजन के जटिलताएं – Complications of Cholecystitis in Hindi
पित्ताशय हमारे शरीर में महत्वपूर्ण अंग है। जिसके अंदर पित्त का निर्माण होता है। जो भोजन को पचाने में काम
आता है। उस पित्तरस का जमने से शरीर में कहीं परेशानीया हो सकती है।
1.पेट में लगातार तेज दर्द और सूजन का रहना ।
2.पित्ताशर में दरारे होना पित्ते के जमकर कठोर होने से दरारे होने लगती है।
3.छोटी पथरीयों का पित्ताशय से निकलकर और स्थान पर जाकर फस जाना।
4.गैंग्रीन यह एक बहुत ही गंभीर संक्रमण है जो सम्पूर्ण शरीर में फेलकर समस्या उत्पन कर देता है।
5.अगर पित्ताशय में पथरी बड़े आकार लेने पर पित्ताशय की परत को भी नष्ट कर देती है। जिससे गंभीर समस्या उत्पन्न हो
सकती है।
पित्ताशय की समस्या से कैसें बचें – How to Avoid Cholecystitis Problem in Hindi
संपूर्ण जानकारी से यही एक बात तय होती है की पित्ताशय में पथरी होने का सबसे बड़ा कारण शरीर में
कोलेस्टरॉल की मात्रा के बढने के कारण होता है। पित्ताशय के बचाव के निम्न कारण है।
- कोलेस्टरॉल युक्त पास्ट फूड़ का कम से कम उपयोग करें।
- भोजन हमेंशा समय से करे नाश्ता सुबह जंल्दी ही करे जिससे दोपहर व शाम का भोजन सही समय पर कर सके।
- अपने भोजन मे फल सलाद के साथ ही वसा का भी शामिल करें।
- अधिक मोटापा ना होने दे मोटापा अधिक हाने पर पर वजन कम करके भी पित्ताशय की पथरी से बचा जा सकता है।
- रोजाना तकरीबन 30 मीनट तक व्यायाम करें
- कोलेस्टरोल को कम करने के लिए रंनिग करें पसीना बहाये।
पित्ताशय की सूजन का इलाज – Cholecystitis Treatment in Hindi
पित्ताशय में सूजन (Cholecystitis) आने पर पेट में बहुत तेज दर्द होने लगता है। जो कूछ घंटो से लेकर दिनों तक
लगाताररह सकता है। यह दर्द असहनीय होता है जिसका निदान जल्द से जल्द होना आवशयक हो जाता है।
ऐसी स्थिती मे डाक्टर से मिलकर मिरल को हस्पताल में भर्ती करवाके इलाज करवाना अतिआवशयक हो जाता है।
पित्ताशय की सूजन पित्त नलिकाओं में पथरी के फस जाने के कारण आती है। जिसके इलाज के लिए कहीं तरीको को
अपनाया जाता है। जो निम्न है।
एसी स्थिती में इलाज शुरू करने से पहले है। डॉक्टर मरीज का खाना – पानी बंद कर दिया जाता है। जिससे शरीर में
पाचन क्रिया में कार्यरत सभी अंगो को आरम मिल सकें
अर्सोडिऑक्सीकोलिक एसिड– इससे भी पथरी को गलाया जा सकता है। इसमें कम से कम 2 वर्ष तक दवा लेनी पड़ती
है। लेकिन इस स्थिती में दौबारा पथरी होने का खतरा होता है।
एक्स्ट्राकार्पोरल शॉक -वेव लिथोट्रिप्स यानी नॉन- सर्जिकल प्रक्रिया ज्यादातर किडनी की पथरी मे करते है
जिसमें बाहर से है ही किरणों को छोडा जाता जिससे पथरी पिघल कर बाहर निकल जाती है। लेकिन इसे पित्त की पथरी
को पिघलाने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
लेजर ऑफरेशन – इस प्रकार के ऑफरेशन में एक छोटा सा चीरा लगाकर एक छोटी मशीन पेट में डालकर टूकडो में
तोडकर बाहर निकाले जाते है। ऐसे ऑफरेशन में एक या दो दिन में अस्पताल से छूटटी हो जाती है।
ओपन सर्जरी- इस तरह के ऑफरेशन में पेट में बड़ा सा कट लगाकर पित्ताशय को बाहर निकाला जाता है। क्योंकि
पित्ताशय में से केवल पथरी को निकालने पर दौबारा पथरी बन जाती है। इसलिए ऐसे ऑफरेशन में पित्ताशय को ही
निकालना पड़ता है। इससे आपके सामान्य जीवन में कोई बदलाव नही आता इस प्रकार के ऑफरेशन में कुछ हफ्तो तक
सामान्य भोजन व दिनचर्या ही बितानी पड़ती है।
पित्ताशय निकालने पर क्या होता है।
कोलेसिस्टेकटॉमी पित्ताशय को निकालने पर पथरी का पुनः होने की सम्भावना 99 प्रतिशत तक कम हो जाती है।
परन्तु यह ऑफरेशन केवल आवश्यकता होने पर ही करवाना चाहिए हालांकि पित्ताशय को निकालने से कोइ बदलाव
नहीं आता पित्त बनाने का कार्य छोटी आंत से निकलने नलिकाओं द्वारा छोडा जाता है। लेकिन बहुत ही कम व्यक्तियों में
गैस्ट्रोइंटेसटाइनल समस्या और पेट के उपरी दाहिने हिस्से में निरंतर दर्द पैदा कर सकती है । इसके अलावा 20 प्रतिशत
व्यक्तियों में लम्बें समय के लिए डायरिया की समस्या हो सकती है।
पित्ताशय का आयुर्वेदिक इलाज – Ayurveda Treatment for Cholecystitis in Hindi
पथरी के इलाज के लिए आयुर्वेदिक नुस्को से तैयार दवां असमरी हर क्वाथ और असमरी हर रस करके दो दवांइया है
जिनके सेवन करने से 14 एम एम तक की पथरीयों को पिघलाकर निकाली जा सकती है। यह दवांइ जड़ी -बूटीयों से
मिलाकर बनाई गई है जो आयुर्वेदिक संस्थानो से पूर्ण जानकारी के साथ इस्तमाल करें।
पत्थर चटटा या रक्त बीज – यह एक औषदिय पौधा है जो आसानी से पाया जा सकता है। पत्थर चटटे के दो से तीन
पत्तों के रस को लगातार सेवन करने से 1 माह में किडनी या गालब्लैडर की पथरी पिघलकर निकल जाती है।
इस पौधे कि कासीयत यह होती है। की पथर चटटे के पत्तें जितने टूकड़े करके मिटटी में डाले जाते है।
उतने ही पौधे तैयार हो जाते है।
कूलथी की दाल – कूलथी के दाल कोरात को गला कर सुबह सेवन करने से भी पथरी समाप्त हो जाती है।
मूंली – इसके सेवन से भी पथरी नही होती है।
ककड़ी और गाजर के रस को दिन दो बार पीने से कुछ ही दिनों में किसी भी तरह की पथरी को बाहर निकाला
जासकता है। यह बहुत ही रामबाण इजाज है।
चुकंदर , नाशपती , नींबू के रस और विटामिन सी से युक्त फलो के रस के सेवन करने से भी छोटी पथरीयों पिघलाकर मूत्र के द्वारा बाहर निकाला जा सकता है।
पित्ताशय में परहेज और आहार – Avoid and Diet Cholecystitis in Hindi
परहेज
कोलेस्ट्रोल युक्त आहार ना ले ।
फेटी चीजो के उपयोग से बचें
मीट, अंडे , तेल व मसालेदार, कार्बनयुक्त पेय से बचें
आहार
अधिक पानी और पेय पदार्थो का सेवन करें
हरी सब्जी और लोकी के जूस का सेवन करना
एलोवेरा जूस का हफ्ते में दो बार सेवन करना
भोजन में दालचीनी का उपयोग करना
दालो का अधीक सेवन
पित्ताशय की सूजन का परिक्षण – Cholecystitis Test in Hindi
पित्ताशय या गालब्लैडर की सूजन का पता लगाने निम्न प्रकार के टेस्ट किये जा सकते है।
एक्स-रे – इस परिक्षण से भी पेट में होने वाली परेशानी का पता लगाया जा सकता है।
सोनोग्राफी – यह परिक्षण एक्स -रे से बहतर होता है। इसमें पेट जिस भाग में परेशानी हो उसका अच्छे से जॉच कि जा
सकती है।
सी टी स्कैन –
एम आर आई स्कैन – इनकी मदद से और भी अधिक गहराई से जांच की जा सकती है।
ब्लड़ और यूरिन भी टेस्ट किये जाते है।
योग और व्यायाम – Yoga and exercise Cholecystitis in Hindi
नियमित रूप से कपाल भाति करें
रनिगं करे पथरी की आशंका कम हो जाती है।