ब्लड इन्फेक्शन (सेप्सिस) – Blood Infection (Sepsis) in Hindi

ब्लड इन्फेक्शन (blood infection) या सेप्टीसीमिया जो एक प्रकार की बहुत ही घातक रक्त में होने वाली संक्रमण की

समस्या है। सेप्सिस रोग किसी भी उर्म में हो सकता है। परन्तु बच्चों और बुजुर्गो पर सेप्सिस का असर अधिक होता है

क्योंकि यह ज्यादातर शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने, गंभीर चोट लगने, लम्बें समय से किसी बीमारी से ग्रस्त

होने या सर्जरी होने के कारण रक्त में संक्रमण का होना आदि इन सभी कारणों के चलते ब्लड़ इन्फेक्शन (blood

infection) सेप्सिस हो सकता है। जो कहीं बार मृत्यु का कारण भी बन जाता है।

ब्लड इन्फेक्शन(सेप्सिस) क्या है? – What is a Blood Infection (Sepsis) in Hindi

यह बहुत ही भयानक समस्या है। जो शरीर में रक्त संक्रमण होने के कारण होता है। जब किसी भी बीमारी

या चोट के कारण शरीर में बेक्टीरियल इन्फेक्शन होता है तो शरीर में उपस्थित रोगप्रतिरोधक सेल्स उन से

लड़कर समाप्त करने के लिए अधिक कार्य करते है। जिसके परिणाम स्वरूप गंभीर सूजन और रक्त के थक्के

बनने तक स्थिती उत्पन्न हो जाती है। जिससे रक्त संचरण में समस्या उत्पन्न हो जाती है। संपूर्ण शरीर को प्रर्याप्त

मात्रा में ऑक्सिजन नहीं पहुचती जिसके चलते शरीर के अंग कार्य करना कम कर देते है। ब्लड इन्फेक्शन

(सेप्सिस) संक्रमण अधिक होने पर मृत्यु भी हो सकती है।

ब्लड इन्फेक्शन(सेप्सिस) क्यों होता है? – Why Does a Blood Infection (Sepsis) Happen in Hindi

सेप्सिस (sepsis) लम्बें समय से बीमार रहनें से रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण होता है। कहीं बार (सेप्सिस)

होने के पिछे गंभीर चोट लगने या सर्जरी के चलते भी ब्लड़ इन्फेक्शन (सेप्सिस) होने का खतरा होता है।

ब्लड इन्फेक्शन(सेप्सिस) लक्षण – Blood Infection (sepsis) Symptoms in Hindi

सेप्सिस के कहीं लक्षण हो सकते है। जो ब्लड़ इन्फेक्शन (सेप्सिस) की गंभीरता पर निर्भर करते है।

ब्लड़ प्रेशर का स्थीर न रहना ।

बुखार आना ।

चक्कर आना ।

सांस लेने में परेशानी या सांस फूलना ।

धड़कन का बढ़ना ।

जी घबराना , उल्टी आना।

शरीर में सूजन और दर्द होना ।

खून की कमी होना ।

मानसिक स्थिती में बदलाव आना ।

शरीर का अधिक कमजोर दिखाई देना।

ब्लड इन्फेक्शन(सेप्सिस) कारण – Causes of Blood Infection (Sepsis) in Hindi

सेप्सिस (sepsis) होने के कहीं कारण हो सकते है। जैसे

पथरी होना ।

फेफड़ो में संक्रमण होना।

टी. बी. होना ।

डायबिटिज का होना ।

मलद्वार या मूत्रमार्ग में संक्रमण का होना।

पाचन तंत्र की समस्या होना।

सर्जरी के पश्चात संक्रमण होना ।

एड्स, कैंसर जैसे रोगो से ग्रसित होना।

ब्लड इन्फेक्शन(सेप्सिस) जांच – Blood Infection (Sepsis) Test in Hindi

सेप्सिस कि जॉच सामान्यतः ब्लड़ टेस्ट के द्वारा कि जाती है। परन्तु इसके लक्षण और संकेत अन्य बीमारीयों से मेल होने

पर निम्न जांचे भी की जाती है।

रक्त परिक्षण

मूत्र परिक्षण

मल परिक्षण

श्वसन परिक्षण

सी. टी. स्केन

एम. आर. आई.

बलगम टेस्ट

ब्लड इन्फेक्शन(सेप्सिस) से कैसे बचें – How to Avoid Blood Infection (Sepsis) in Hindi

मरीज को सेप्सिस है या नहीं इसका पूर्णतः पता लगाना बहुत जरूरी है। इसके लिए मरीज की

रक्त में बैक्टीरिया की जांच,

प्लेटलेट की कमी,

श्वेत रक्त कोशिको का कम होना,

लौ ब्लड़ प्रेशर की जॉच

लिवर किडनी की आदि इन सभी की जांच करवाकर सही रूप से इलाज शुरू किया जाता है।

ब्लड इन्फेक्शन(सेप्सिस) का इलाज – Treatment of Blood Infection (Sepsis) in Hindi


सेप्सिस के इलाज करने से पहले डॉ. आपके पिछले इतिहास की पूर्ण जानकरी लेते है जिससे इलाज करने में सहायता

मिलती है।

सेप्सिस का इलाज रोगी के लिए अलग-अलग प्रकार का होता है। यह रोगी की स्थिती के उपर निर्भर करता है। सेप्सिस से

मरीज का कौनसा अंग प्रभावित होता है यह पता लगाना आवश्यक होता है।

अगर शुरूआती लक्षणों में ही सेप्सिस का पता लगने पर किसी अंग पर प्रभाव नहीं होता और घर पर रहकर ही इसका

इलाज किया जा सकता है। इसके लिए डॉ. की सलाह अनुसार ट्रिटमेंट की आवश्यकता होती है। कूछ एंटिबॉयोटिक

दवांओ के उपयोग से संक्रमण को समाप्त किया जा सकता है।

सेप्सिस की गंभीर अवस्था में मरीज को तुंरन्त हॉस्पिटल में भर्ती करवायें जहां पर मरीज को आई सी यू में रख कर

संक्रमण पर नियन्त्रण किया जा सके जिसमें एंटिबायोटिक दवांओ का उपयोग किया जाता हैं।

सेप्सिस की समस्या के चलते महत्वपूर्ण अंगो के रोग ग्रस्त होने से व्यक्तियों की बीमारी की समस्या अधिक बढ़ जाती है।

जिसके परिणाम स्वरूप प्रतिवर्ष 30से40 प्रतिशत व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है।

ब्लड इन्फेक्शन(सेप्सिस) का घरेलु उपाय – Home Remedy for Blood Infection (Sepsis) in Hindi

शरीर के सभी अंगो का सही से कार्य करने और स्वस्थ रहने के लिए ब्लड़ का शुद्ध और पर्याप्त मात्रा

में होना बहुत ही जरूरी होता है। इससे इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। जिसके लिए निम्न उपाय

किये जा सकते है।

हल्दी वाला दूध – रात को सोते समय 1 गिलास मिटठे दुध में 1 चम्मच हल्दी मिलाकर 15 से 20 दिन तक

पिए ऐसा करने से शरीर और रक्त में उपस्थित बैक्टेरिया समाप्त हो जायेगे। क्योकि हल्दी का उपयोग एंटी

आक्सीडेंट के रूप में भी किया जाता है।

चुंकदर – इसमें भी एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते है जो रक्त का साफ करके रक्त स्तर को बढ़ाने में सहायक होता है।

गुड़ – गुड़ के सेवन करने से रक्त स्तर बढ़ता है इसके सेवन से खून के थक्कों का समाप्त कर रक्त का स्वच्छ रकता है।

ऑवला और गिलौय – इन दोनो के सेवन से इम्यूनिटी पावर बढ़ता है। शरीर में शितलता प्रदान करता है।

निम – निम के नरम व ताजा पत्तो के सेवन से भी रक्त को शुद्ध किया जा सकता है।

पानी – पानी का उचित मात्रा में सेवन करना दिन में 4 से 5 लिटर पानी का सेवन करना चाहिए ।

ब्लड इन्फेक्शन(सेप्सिस) का होम्योपैथी इलाज – Homeopathic Treatment for Blood Infection (Sepsis) in Hindi


फॉक्सग्लोव :जटेलिस परप्यूरिया – इस दंवा का उपयोग

सांस लेने में समस्या होने ।

दिल का असिमित रूप से कार्य करना ।

बुखार होने पर हार्ट फेल होना ।

ब्लैक स्प्रूस :अबीस नाइग्रा – इसका उपयोग

सांस लेने में परेशानी होना ।

पेट दर्द और बुखार की स्थित ।

बेचैनी होने पर ।

डेडली नाइटशेडः बेलाडोना – इसका उपयोग

चेहरे का रंग नीला होना

खांसी चलने के कारण पेट में दर्द होना

मसूडो में तेज दर्द होने पर

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