अपेंडिक्स – Appendicitis in Hindi

दोस्तो आज हम आपको हमारे शरीर में उपस्थि अपेंडिक्स (Appendix) में होने वाली अपेंडिसाइटिस (Appendicitis) कि समस्या के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है।

क्या आपको है कि अपेंडिक्स (Appendix) भी हमारे शरीर का एक अंग है। प्राचीनकाल में आदि मानव फलों को कच्चा

ही सेवन करते थें साथ ही पेंड़ पौधौ के फूल – पत्तियों का भी सेवन किया करते थें ।

विज्ञान के अनुसार पेड़-पौधो की पत्तियों में सेल्यूलोज (Cellulose) पाया जाता है जिसे केवन जानवर ही हजम कर सकते है।

परन्तु समय के अनुसार हम सभी वस्तुओं को पका कर खाने लग गयें जिससे अपेंडिसाइटिस ( Appendicitis ) का उपयोग खत्म हो गया ।

डॉक्टरो कहे अनुसार अपेंडिक्स (Appendix) में रोग रतिरोधक क्षमता (Immunity power) बनाये रखने की क्षमता होती है।

अपेंडिक्स (अपेंडिसाइटिस ) क्या है ?- What is Appendicitis in Hindi

हमारे शरीर में पेट के अंदर दाहिने भाग में बड़ी आंत होती उसके निचले सिरे से 3 से 4 इंच का हिस्सा निकला होता है

जो बड़ी आंत और छोटी आंत के बिच मे होता है इस अतिरिक्त निकले हुऐ भाग को अपेंडिसाइटिस (Appendicitis) कहा जाता है।

हमारे शरीर में मौजूद अपेंडिक्स (Appendix) के अन्दर संक्रमण (Infection) या फिर कब्ज रहने की वजह से मल के जमाव के

कारण सुजन आ जाती है। जिसे अपेंडिसाइटीस कहते है। अगर इस पर ध्यान न दे कर ईलाज नही करवाया जाये तो

इनफेक्शन से मवाद बन जाती है। इस स्थिती में तुरन्त ऑफरेशन से अपेंडिक्स को काट कर बाहर निकाला जाता है।

अपेंडिक्स (अपेंडिसाइटिस ) होने के कारण – Due To Appendicitis in Hindi

हमारे शरीर में अपेंडिसाइटिस होने का सबसे महत्वपूर्ण कारण अपेंडिक्स का रास्ता बंन्द होना है ।

अपेंडिक्स का रास्ता छोटी आंत और बड़ी आत से जूड़ी हुई ( सीकम ) नामक एक थेली में खुलता है इस थेली में खुलने

वाला अपेंडिक्स मवाद की तरह का पदार्थ जमने लगता है। धिरे धिरे यह पदार्थ पत्थर की तरह कठोर होने लगता है

कब्ज

कब्ज के रहने से भी अपेंडिक्स हो सकता है क्योंकि कब्ज की वजह से हमारे शरीर से मल पूरे तरीके

से मल बाहर नहीं निकल पाता जिसके चलते मल हमारी आंतो में ही चिपका रह जाता और वहीं सड़ने लगता है।

जिससे अपेंडिसाइटिस की समस्या उत्पन हो जाती है।

आपके द्वारा सेवन किये गये भोजन का पूर्ण रूप से पाचन न हो कर आंतो मे चिपक जाना

फलो के बिज या कोई अन्य पदार्थ जिसका शरीर के द्वारा पांचन न किया जा से उसका अपेंडिक्स में जाकर पस जाना

अपेडिक्स में गॉंठ या कैसंर जैसी बीमारीयों का होना

अपेंडिक्स की समस्या पेट में गहरी चोट लगने से भी हो सकती है।

अपेंडिक्स (अपेंडिसाइटिस ) के प्रकार – Types of Appendicitis in Hindi

1. एक्यूट अपेंडिसाइटिस – ( Acute appendicitis)

2. क्रोनिक अपेंडिसाइटिस – (Chronic appendicitis)

3 . आवर्तक अपेंडिसाइटिस – (Recurrent appendicitis)

1. एक्यूट अपेंडिसाइटिस – Acute Appendicitis

एक्यूट अपेंडिसाइटिस अपने नाम के अनुसार ही प्रतिक्रिया करता है क्योंकि एक्यूट अपेंडिसाइटिस कुछ घटों में ही

विकसित हो जाता है या फिर इसे विकसित होने में कुछ दिनों का समय भी लग सकता है। एसी स्थिति में ऑपरेशन

ही एक मात्र इलाज होता है।

2. क्रोनिक अपेंडिसाइटिस – Chronic Appendicitis

क्रोनिक अपेंडिसाइटिस का महत्वपूर्ण लक्षण शरीर में पेट के दांय हिस्से की तरफ सूजन का होना होता है। और

यह कुछ लम्बें समय तक भी रह सकता है और बीच-बीच में खत्म भी हो सकता है। अधिक दबाव व रूकावट के

कारण सूजन भी अधिक होती है हालाकि एसी स्थिति के अपेडिक्स फटने की समस्या टल जाती है और अपेंडिक्स

खुल भी सकती है। परन्तु इसके आसार आज के दौर में बहुत कम देखने को मिलते है।

3. आवर्तक अपेंडिसाइटिस – Recurrent Appendicitis

क्रोनिक अपेंडिसाइटिस और एक्यूट अपेंडिसाइटिस इस स्थिति अपेंडिक्स का प्रकार न मानकर इसे एक समस्या कह

सकते है। क्योंकि ’’ एक्यूट अपेंटिसाइटिस ’’ में 24 से 48 घंटो के अन्दर ही लक्षण दिखाइ देने लग जाते है। लेकिन

क्रोनिक अपेंडिसाइटिस के लक्षण धीरे-धीरे सामने आते है कभी कम हो जाते जिसकेचलते अपेंटिसाइटिस की समस्या

का इलाज करने में समय अधिक गुजर जाता है।

अपेंडिक्स (अपेंडिसाइटिस ) के लक्षण – Appendicitis Symptoms in Hindi

Appendicitis के लक्षणों में सबसे अधिक प्रभावित करने वाला लक्षण पेट के दांये और दर्द का होना है परन्तु इसके

शुआती लक्षणों में यह दर्द पेट के मध्य भाग से शुरू होता है। इसके और कई भी लक्षण होते है जैस

1.अधिक कब्ज का बने रहना

2. दस्त की समस्या होना

3. पैट में गैस का अधिक बनना

4. पेट में सुजन व दर्द रहना

5. बुखार का अधिक आना

6. भूख न लगना

7.उल्टी होना

8.मल के साथ कफ का आना

9.मूत्र करते समय दर्द का होना

यह सभी लक्षण अपेंडिक्स होने पर अधिक प्रभावित हो जाते है।

अपेंडिक्स (अपेंडिसाइटिस )का इलाज – Treatment of Appendicitis in Hindi

यह एक मडिकल इमरजेंसी है क्योंकि यह किसी के शरीर में बेक्टेरीया या फिर वर्मीफॉर्मिस ( फंगस ) का कारण है

अपेडिसाटिस से बचने के लिए प्राकृति पर ही निर्भर रहना चाहिए परन्तु इससेहोने वाले दर्द से बचनें के लिए डॉक्टर कि

सलाह से भी आवश्यक है। ज्यादातर डॉक्टर इस स्थिती में ऑपरेशन की ही सलाह देते है। लेकिन यह आवश्यक नहीं है

इसे स्वयं के सामान्य जीवन में परीर्वतन लाकर भी बचा जा सकता हैं।

अपेंडिक्स (अपेंडिसाइटिस ) के घरेलू उपाय – Home Remedies For Appendicitis in Hindi

जेसा की मेने पहले भी बताया है कि अपेंडिक्स से बचने के लिए प्रकृतिक तोर – तरीको का अधिक उपयोग ज्यादा फायदेमन्द है । जैसे

अधिक फाइबर युक्त वस्तुओं का सेवन करना चाहिए जैसे – बींस , खीरा , टमाटर , चुकंदर , गाजर , मटर , राइस ,

मुनक्का , सुरजमुखी के बीज एसी वस्तुओ का सेवन करने पर अपेंडिसाइटिस का खतरा ना के बराबर होता है।

मेथी दाना – अपेंडिक्स में सूजन और दर्द से अचने के लिए मेथी दाना का उपयोग कारगर है इसको उपयोग मे

लानेके लिए 1 गिलास पानी में 2 चम्मच मेथी दाना डालकर उबाल कर पानी को छान ले मेथी दाने के पानी दिन

में एक बार जरूर पिऐ इसके उपयोग से अपेंडिक्स में दर्द और सूजन को खत्म करता है।

नींबू – इसमें विटामिन ’’ सी ’’ भरपूर मात्रा में होता है। जिसके कारण अपच और कब्ज नही होती नीबू के रस मे

शहद मिलाकर एक से दो सप्ताह तक रोजाना सेवन करे यह अपेडिसाइटिस को रोकने में बहुत उपयोगी है।

तुलसी – तुलसी के 3 से 4 पत्तों का रोजाना सेवन करे या फिर चाय के साथ तुलसी और अदरक को मिलाकर

चाय के रूप में सेवन करे यह अपेंडिक्स में बुखार को खत्म करता है।

पालक – पालक में आयरन की मात्रा अधिक पाई जाती है और यह आंतो के लिए बहुत फायदेमंद है।

छाछ – भोजन के बाद छाछ में नमक मिलाकर सेवन करें एसा करनें से भोजन को पचाने मे आसानी होती है।

जिससे गैस , एसिडिटी ,कब्ज जैसी समस्या नहीं होती है।

अपेंडिक्स (अपेंडिसाइटिस ) का होम्योपैथी इलाज – Homeopathy Treatment Of Appendicitis

होम्योपैथी इलाज अपेंडिक्स के शुरूआती चरणों मे आजमाया जा सकता है और पुरानी और आवश्यक मामलो के इलाज

के लिए विशेष रूप से उपयोगी होता है।

होम्यापैथी दवां ’’ लाइक क्योर लाइक ’’ के सिद्धांत पर कार्य करती हैं, मतलब यह है कि समस्या का कारण बनने वाले

तत्व भी इसके निदान की कुंजी है।

अपेंडिक्स (अपेंडिसाइटिस ) होमियोपैथी दवाइयॉ – Homeopathy Medicines of Appendicitis in Hindi

आर्सेनिकम एल्बम – इसका उपयोग अपेंडिसाइटिस के प्रभाव से रोगी का दस्त लग जाती है और अधिक पिडा से

गुजरना पड़ता है।

बेलाडोना यह अपेंडिक्स में बहुत ही उपयोगी दवां है। इसका उपयोग अपेंडिक्स के शुरूआत में सिरदर्द , बुखार ,

चक्कर , उल्टी जैसी समस्या के समय बेलाडोना का उपयोग किया जाता है।

रस टॉक्स– अपेंडिक्स का इलाज करने के लिए होम्योपैथी में इसे ’’चाकू’’ भी कहतें क्योंकि रस टॉक्स दवां का उपयोग

जब किया जाता है। तब अपेंडिसाइटिस का दर्द स्थाई हो जाय और रोगी को दर्द से राहत ना मिले

अपेंडिक्स (अपेन्डिसाइटिस) का परीक्षण – Diagnosis of Appendicitis in Hindi

Appendicitis का पता लगाने के लिए निम्न टेस्ट किये जाते है।

ब्लड़ टेस्ट/ Blood Test – इस टेस्ट के द्वारा शरीर में उपस्थित श्वेत रक्त कणिकाओं की मात्रा का पता लगाया जाता है।

क्योंकि श्वेत रक्त कणिकाओं के अधिक होने से संक्रमण होने का पता लगाया जा सकें

यूरीन/ Urine Test – इसके टेस्ट से पता चलाया जा सके कि पेट मे दर्द पेशाब के संक्रमण या पथरी के वजह से तो नहीं है।

सोनोग्राफी / Sonography – के द्वारा पेट में अपेंडिक्स की सूजन का पता लगाया जाता है। अधिकतर अपेडिसाइटिस

के प्रकार का पता सोनोग्राफी के द्वारा ही चलता है।

एक्स-रे / X Ray – से भी पेट की सूजन का पता लगाया जाता है ।

सी टी स्केन /C T scan– आवश्यकता पड़ने पर डाक्टर सी टी स्केन टेस्ट की सलाह देते है।

एम आर आई / MRI test

अपेंडिक्स (अपेन्डिसाइटिस) में परहेज़ – What to Avoid During Appendicitis in Hindi

अपेंडिसाइटिस से बचने के लिए अपेंडिक्स को सुरक्षित रखना जरूरी है क्योंकि अपेंडिक्स में सक्रमण होने पर

अपेंडिसाइटिस होने का कारण बन जाता है। इससे बचने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। जैसे

शराब के सेवन से बचें

मंसाहारी भोजन परहेज करें

जंक फूड़ से बचें

मेदा/सफेद आटे से बने भोजन से बचें

अधिक तीखा खाने से बचें

चॉय / कॉफी, ड्रीक्ंस का परहेज करे

अपेंडिक्स (अपेन्डिसाइटिस) में क्या खाना चाहिए? – What to Eat During Appendicitis in Hindi

भोजन से अपेंडिसाइटिस होने का एसा कोई कारण नहीं है अपेंडिसाइटिस के लक्षण दिखाई देने या पहले से ही

अपेंडिसाइटिस से गुजर ने पर निम्न बातो का ध्यान रखना होता हैं।

सुबह जल्दी उठने की आदत डाले

सुबह शौच के पहले आधा लीटर पानी जरूर पीए

नाश्ते में हल्का भोजन करे जैसे दूध,फल , अंकुरित चनो का सेवन करे

भोजन दिन में तीन से चार बार थोडा थोडा करके करे

भोजन में ज्यादा से ज्यादा सलाद का उपयोग करे

इन सभी आवश्यक नियमों का पालन करने से आपको भोजन को पचाने आसानी होती है। जिसके चलते गैस , एसिडिटि

और कब्ज की समस्या से बचें रहेगे क्योकि अपेडिसाटिस को यह सभीकारण अधिक प्रभावित बनाते है।

अपेंडिक्स (अपेन्डिसाइटिस) के जोखिम और जटिलताएं – Appendicitis Risk & Complications in Hindi


अपेंडिसाइटिस होना अपने आप में एक बहुत बड़ी जटिलता है क्योंकि कहीं कारको के कारण अपेंडिसाइटिस का

रोकथाम करना भी असंभव हो जाता है। अपेंडिसाइटिस के जोखिम निम्नप्रकार है।


बच्चों में अपेंडिसाइटिस – अपेंडिक्स की समस्या 10 वर्ष तक के बच्चों में देखा जा सकत है बच्चो में होने वाली

समस्या ’’एक्यूट अपेंडिसाइटिस’’ प्रकार का होता है।

युवाओं में अपेंडिसाइटिस – सबसे अधिक अपेंडिसाइटिस की समस्या युवाओ में होती है इसका सबसे मुख्य

कारण बदलते जीवन स्तर के चलते व्यक्तियों के खान पान माना जा सकता है।

अपेंडिक्स मे चोट का लगना – किसी कारण वश अपेंडिक्स में चोट लगने से भी अपेंडिक्स मे सूजन आ सकती है

या फिर अपेंडिक्स में कोई फोड़ या पूंन्सी होन से सूजन के साथ-साथ पकाव लेना आदि ।

अपेंडिसाइटिस की जटिलताएं

पेरिटोनाइटिस (Peritonitis )- यह हमारे शरीर का अन्दरूनी अंग है जब समय पर अपेंडिक्स का इलाज नहीं हो पाता है

तो अपेंडिक्स फट जाता है एसी स्थिति में अपेंडिक्स में से निकलने वाले बेक्टेरिया शरीर में फेल जाते है अगर यह बेक्टेरिया

पेरिटोनाइटिस की थेली के पतली झील्ली तक पहुच जाए तों तुरन्त इसका इलाज करना आवश्यक होता हैं इसका समय

पर इलाज ना होने पर अपेंडिक्स से निकलने वाला पस जहर का रूप ले लेता है और व्यक्ति कि मौत भी हो सकती है।


फोड़ा या पून्सी( Adscess) – एसी स्थिति का सामना जब करना पड़ता है तब अपेंडिक्स फट जाता है और शरीर में पस

फेल जाता है हमारा शरीर जब सक्रमण से लड़ने के लिए प्रयास करता है तो पस के फले हुए हिस्से में छोटे-छोटे फोडे

बनने लगते है य फोडे कही बार अपेंडिक्स के ऑपरेशन के कारण बाद में भी हो सकते है लेकिन इनको अल्टा्रसांउड

और कप्यूटराइाज्ड टोमोग्राफी सुई का प्रयोग करके भी मवाद को बाहर निकाला जा सकता है।

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