Anemia (खून की कमी) जिसे रक्ताल्पता भी कहते है। जैसा की सामान्यतौर पर सभी व्यक्ति जानते है। कि खून कि
कमी होने से कमजोरी आ जाती है। इसी कमजोरी के चलते व्यक्ति कहीं तरह की बीमारीयों का शिकार हो जाता है।
एक रिसर्च मे पता चला है की दुनिया में लगभग एक तिहाई व्यक्ति एनीमिया से पिड़ित है। और भारत में प्रति वर्ष लगभग
1 करोड़ से ज्यादा एनीमिया (खून की कमी) के मामले सामने आते है। इस समस्या से ग्रसित 80 प्रतिशत मामलो में
गर्भवती महिलाओं और बच्चें शामिल है। ऐसा नही है की इस समस्या का इलाज ना किया जा सकें क्योंकि एनीमिया
(खून की कमी) हिमोग्लोबिन की कमी के कारण होता है। जिसे आयरन युक्त पदार्थो का सेवन कर ठीक किया जा
सकताहै। परन्तु एनीमिया (खून की कमी) का अगर समय रहते इलाज नही किया जाऐ तो यह गंभीर समस्या का कारण
बन सकता है। इस लेख के द्वारा Anemia (खून की कमी) के लक्षण, कारण, प्रकार और बचने के उपायों कि सम्पूर्ण
जानकारी दी गई है।
एनीमिया (खून की कमी) क्या है? – What is Anemia in Hindi
Anemia (खून की कमी) एक प्रकार का विकार है जो हमारे शरीर कें रक्त उपस्थित में हीमोग्लोबिन की कमी
के कारण होता है। रक्त हमारे सम्पूर्ण शरीर में ऑक्सीजन पहुचाने का कार्य करता है। शरीर में रक्त की कमी होने पर
ऑक्सीजन में भी कमी आती है। सामान्यतः मानव शरीर में रक्त (RBC) की संख्या पूरूष में 13.5-17.5 महिलाओं में
रक्त (RBC) की संख्या 12.0-15.5 ग्राम प्रति डेसीलीटर हीमोग्लोबिन की मात्रा से कम होने पर उसे Anemia
(खून की कमी) कहा जाता है।
एनीमिया (खून की कमी) के प्रकार – Types of Anemia in Hindi
एनीमिया रोग कहीं तरह से हो सकता है जो निम्न प्रकार हैं।
1.आयरन की कमी से एनीमिया– एनीमिया का यह एक सामान्य प्रकार है जिसम इस प्रकार में खून की कमी होने
के पीछे हर माह आने वाली महीलाओं की महावारी के समय अधिक स्त्राव से कमी होना। गर्भवती महीओं में भ्रूण
के विकास के समय आयरन की कमी एनीमिया का कारण हो सकता है।
2.एप्लास्टिक एनीमिया – यह एनीमिया (खून की कमी) का गम्भीर प्रकार है। एप्लास्टिक एनीमिया स्त्री व पूरूषो में
किसी भी उर्म में हो सकता है। इस प्रकार की समस्या में रक्त कोशिकाऐं बहुत प्रभावित होती है। क्योंकि हमारे शरीर
में हर समय रक्त निर्माण का कार्य होता रहता है। परन्तु एप्लास्टिक एनीमिया होने पर रक्त के नए कण बनने से पहले
ही बोन मेरो के अंदर ही समाप्त हो जाते है। स्टेम कोशिकाऐ जो रक्त निर्माण का कार्य करती है वह क्षतिग्रस्त हो कर
नया रक्त बनाने मे असफल हो जाती है। इस प्रकार के एनीमिया के लक्षण कभी पूर्ण रूप से नजर नहीं आते और कैंसर
जैसी कही गंभीर बीमारीयों का कारण हो सकता है।
3.हीमोलिटिक एनीमिया – हीमोलिटिक एनीमिया को सिकल सेल एनीमिया भी कहते है। इस प्रकार के एनीमिया में लाल
रक्त कोशिकाओं के बनने व समाप्त होने का एक निश्चित समय होता है। परन्तु इस समस्या के चलते समय से पहले ही
लाल रक्त कोशिकाऐ समाप्त हो जाती है। जिससे फेफड़ो, हृदय और सम्पूर्ण शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने से हार्ट
फेल होने की गंभीर समस्या भी हो सकती है।
4.थैलेसीमिया – थैलेसीमिया बच्चों में होने वाला वंशानुगत रक्त विकार है। जिसकी जॉच भ्रूण अवस्था के चौथे महिने में
सही रूप से जॉच करवा के पता लगाया जा सकता है। थैलेसीमिया दो प्रकार का होता है। माइनर थैलेसीमिया और मेजर
थैलेसीमिया माइनर थैलेसीमिया में सही जीवन शैली को अपनाकर लगभग जीवन व्यापन किया जा सकता है। परन्तु मेजर
थैलेसीमिया में हर 21 से 30 दिन के भीतर खून चढ़ाना पड़ता है।
5.सिकल सेल एनीमिया – इस प्रकार के एनीमिया में रक्त सेल्स का आकार सी या अर्द्धचंद्राकार हो जाता है। यह
समस्या बच्चों में माता-पिता दोनो में सिकल सेल एनीमिया होने पर ही आती है।
6.परनिशियस एनीमिया – एनीमिया के इस प्रकार में शरीर में मलटीविटामिन बी12 की कमी हो जाती है।
परनिशियस एनीमिया में शरीर विटामिन बी 12 का अवशोषण करने में असमर्थ होता है।
7.फेकोनाइ एनीमिया – लम्बें समय से किसी बीमारी के चलते हडडीयां कमजोर हो जाती है। शरीर में केल्सीयम की
कमी आने से ल्यकेमिया का शिकार होने का खतरा हो जाता है।
एनीमिया (खून की कमी) के लक्षण – Symptoms of Anemia in Hindi
- थोड़ा चलने या कार्य करने पर थकान होना ।
- चक्कर आना ।
- अचानक आखो के आगे अंधेरा होना बेहोश होना
- सांस लेने में समस्या होना ।
- पैरो मे सूजन आना ।
- शरीर का सफेद या पीला होना ।
- हाथ पैरो का सून्न होना ।
- आखों का कमजोर होना।
- बालो का झड़ना ।
- बच्चो में विकास रूकना।
एनीमिया (खून की कमी) के जोखिम और कारण – Risks and Causes of Anemia in Hindi
जैसा की देखा गया है की ज्यादातर एनीमिया रोग के शिकार महिलाओं को ही देखा गया है जिसके कारण निम्न है।
- गर्भवती महिलाओं में भ्रूण के विकसित होते समय (खून की कमी) होना।
- स्तनपान करवाना ।
- महिलाओं में हर महिने माहावारी के समय अधिक स्त्राव होना।
- बवासीर होने से रक्त का बहना।
- लोह तत्व आयरन की कमी होना।
- पेट मे अल्सर होना।
- लम्बें समय से किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त होना।
- मधुमेह रोग से पीड़ित होना।
- कम समय के अन्तराल में बार-बार गर्भवती होना।
- शरीर में गंभीर चोट के कारण रक्त का बहना।
- खासने उल्टी होने पर मुंह से खून आना
- वृद्धा अवस्था में के दौरान एनीमिया होना।
एनीमिया से (खून की कमी) बचने के उपायें – Measures to Avoid Anemia in Hindi
एनीमिया (खून की कमी) से बचने के लिए बेहतर आहार की आवश्यकता होती है जैसे
– लौह आयरन युक्त चीजों का सेवन करना।
– बीमार होने पर जल्द से जल्द स्वस्थ होने के लिए इलाज करवायें।
– विटामिन बी 12 ,सी और ए युक्त फलो का सेवन करें।
– महावारी के दौरान महिलाओं को गर्म खाघ्य पदार्था के सवन से बचना चाहिए।
– एनीमिया होने पर सी फूड के उपयोग करके खून की कमी को पूरा किया जा सकता है।
– लिवर की समस्या होने पर भी एनीमिया की समस्या हो सकती है।
एनीमिया (खून की कमी) की जॉच – Anemia Testing in Hindi
एनीमिया (खून की कमी) होना एक गंभीर समस्या है। जिसके कारण मरीज और भी कही गंभीर समस्या से ग्रसित हो
सकता है। इसलिए डॉक्टर किसी भी मरीज का इलाज करने से पहले उसकी शारीरिक स्थिती के बारे में सम्पूर्ण
जानकारी लेता है।
सी बी सी टेस्ट – यह एक सामान्य टेस्ट है जिसमें रक्त में उपस्थि हिमोग्लोबिन की कणों को मापता है। जो पुरूषों में 14
से 18 ग्राम डेसिबल और महिलाओं में 12 से 16 ग्राम डेसिबल होता है।
जीन थेरेपी – इस टेस्ट में रक्त कणिकाओं की बनावट की जॉच की जाती है।
बोन मैरो टेस्ट – इस टेस्ट में मज्जा में बनने वाली नई ब्लड़ सेल्स तैयार होने का पता लगया जाता है।
एनीमिया (खून की कमी) का इलाज – Anemia Treatment in Hindi
एनीमिया का इलाज करने से पहले डॉक्टर द्वारा (खून की कमी) के कारण का पता लगाकर इलाज शुरू किया जाता है। जैस –
- आयरन की कमी से एनीमिया होना – आयरन की हाने पर डॉक्टर आपको आयरन युक्त पादार्था का सेवन करने
की सलाह देते है। आवश्यता पडने पर इंग्जेशन लगाने और ब्लड़ भी चढाया जा सकता है।
- महिलाओं में गर्भावस्था में भू्रण के विकास के समय 4या 5 वे महिने में रक्त की कमी आ जाती है। जिससे
एनीमिया होने का खतरा होता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को फॉलिक एसिड़ की गोलियो का
सेवन करना आवश्यक होता और साथ विटामिन सी और बी12 से युक्त फलो का सेवन भी करना चाहिए।
- अन्य किसी भी बीमारी का इलाज तूरन्त करना लम्बें समय से हो रही बीमारी भी एनीमिया होने पर खून
में संक्रण को बढ़ा सकती है।
एनीमिया (खून की कमी) का घरेलू इलाज – Home Remedies for Anemia in Hindi
एनीमिया (खून की कमी) के लक्षणों का पता चलने पर इसका घरेलू उपायो से भी किया जा सकता है। क्योंकि यह समस्या एक हद तक सामान्य ही हाती है।
चकूंदर – रोजाना एक गिलास चकूंदर का जूस पीने से रक्त की आपूर्ति होती है।
सेब – रोजाना 1से 2 सेब खाने से भी खून की कमी पूरी होती है।
किशमिश – राते के समय किशमिश को भीगोकर सुबह खाली पेट सेवन करने से भी खून बढ़ता है।
अंजीर – 5 से 10 अंजीर रोज दूध में उबालकर पिने से हर तरह की खून की कमी पूरी होती है।
अंकूरीत अनाज – मूंग, चने, मूंगफली 2 से 3 घण्टे गलाकर रात को गीले कपडे़ में लपेटकर रख दे सुबह नाश्ते में इनका
सेवन करने से भी जल्दी रक्त की कमी पूरी होती है।
पालक – हरी सब्जीयों में पालक आयरन की कमी को पूरा करने का अच्छा स्त्रोत है।
टमाटर – रोजाना 3 से 4 टमाटर खाने से भी रक्त की कमी दूर होती है।
एनीमिया (खून की कमी) का होम्योपैथी इलाज – Homeopathy Treatment for Anemia in Hindi
पल्सेटिला प्रेटेंसिस (pulsatilla pratensis)- इसके दवां के प्रयोग से एनीमिया में होने वाले लक्षण पेट के अल्सर , थकान
, आयरन की कमी ,सिरदर्द, मल के साथ खून आने की स्थिती में उपयोग में लिया जाता है।
साइक्लैमेन यूरोपियम (cyclamen europium)- गर्भवती महीलाओं में प्रसव के बाद आने वाली खून की कमी को पूरा
करने के लिए इस दवां का उपयोग किया जाता है।
बायोफंगिन सिरप (Biofungin Syrup)- इस दवां का एनीमिया रोग में अच्छा उपयोग है शरीर में कमजोरी, थकान होना
, गर्भवती महीलाओं में खून की कमी होने पर यह सिरप उपयोगी है।
एनीमिया होने पर उपयोगी योग – Useful yoga for Anemia in Hindi
कपालभाति – इस योग में पालथी लगाकर सावधान की मुद्रा में बेठकर सांस का अंदर लेकर एकसाथ सांस को छोड़ते है।
इस योग को प्रतिदिन 15से 20 मिनट रोज करे इससें खून की कमी पूरी होती है और अन्य बिमारीया उत्पन नहीं होती है।
अनुलोम विलोम – रोज 20 से 25 मिनट अनुलोम विलोम करें इसे करने के लिए एक स्थान पर बेठकर अपने हाथ से नाक
के एक हिस्से से सांस लेकर दूसरे हिस्से से छोड़े
भ्रामरी – सुबह के समय एकांत में बैठकर अपने दोनों हाथों के अंगुठो से कानो को बंद करके उगंलियों से ऑखों को बंद
करकें मुंह को बंद करके ओउम् का उचांरण करे सिर में वायब्रेशन उत्पन होगा।
सूर्य नमस्कार – एनीमिया में सूर्य नमस्कार भी उपयोगी होता है।