Black fungus – इन दिनों कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्तियों ने कोरोना जैसे महामारी को हराने के बाद राहत की
सांस भी नहीं ली थी की लोग ब्लैक फंगस जैसी बीमारी का शिकार होने लगें है।कोरोना की पहली लहर में भी वॉट्एप
सर्कुलेशन से पता चला था कि गंगाराम हॉस्पिटल में कुछ म्यूकरमाइकोसिस (Mucormycosis) के 2- 3 केस रिपोर्ट हुए
थे।लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में अचानक कुछ दिनों से महाराष्ट्र,गुजरात, छतिसगढ़ से ऐसे कुछ मामले सामने आ रहें
। जहां लोगो को कोरोना संक्रमण की परेशानी हो रही थी की साथ ब्लैक फंगस (Black Fungus) जैसे बीमारी ने भीअपना
रंग दिखाना शुरू कर दिया है। यह वायरस स्किन और ऑखों पर अधिक अटेक कर रहा है जिसमें जान तक जाने का भी
खतरा हो सकता है। इस कोरोना महामारी के चलते हम आज आपको इस गंभीर समस्या ब्लैक फंगस (Black fungus)
के बारे में समपूर्ण जानकारी देने जा रहें। जिससे आप और आप के परिवार को सुरक्षित रख सकें।
ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) क्या हैं?- What is Black Fungus or (Mucormycosis) in Hindi
म्यूकरमाइकोसिस एक बहुत ही विशेष प्रकार की फंगस इंफेक्शन है। किसी भी व्यक्ति में तीव्र गति से फेलता है। जिसे
बोल चाल की भाषा में ब्लेक फंगस (Black Fungus) भी कहते है।
ब्लैक फंगस (Black Fungus) स्किन, फेफडे और दिमाग तक भी अटैक करने की क्षमता होती है। कुछ केस में देखा
गया है। की ब्लैक फंगस इंफेक्शन से संक्रमित व्यक्तियों में नाक तथा जबड़े की हडडी गलने की समस्या तक देखी गई
है। ब्लैक फंगस का इंफेक्शन अधिक फेलने से व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
कोरोना संक्रमण के बाद ही क्यों होता है ब्लैक फंगस -Why Black Fungus Occurs only After Corona infection
म्यूकरमाइकोसिस इंफेक्शन( Mucoramycosis Infection)की समस्या कोरोना से संक्रमित या कोरोना से ठिक हुए पेशेंन्टो में इस लिए
देखा गया है। कि उन व्यक्तियों मे रोग प्रतिरोधक क्षमता ( Immunity Power) कम हो जाती है। जिससे यह इंफेक्शन हावी
होने लगता लेकिन यह जरूरी नही है। ब्लैक फंगस की समस्या (कोविड़ -19) से ठिक होने वाले हर पेशेंन्टो में देखा गया
हो।
ज्यादातर ब्लैक फंगस की समस्या उन कोरोना पेंशेन्टो को होता है। जो पहले से ही बी.पी. ,शुगर और अन्य रोग से पीड़ित
थे । या फिर यह समस्या उन लोगो को अधिक होती है। जिनकी इम्यूनिटि पावर कमजोर होती है।
क्या म्यूकोरमाइकोसिस अधिक समय तक ( ICU )में रहने से भी हो सकता है। –
कूछ डॉक्टर से भी इस बात का खुलासा हुआ है कि अधिक दिनों तक ( ICU ) में रहने और वैन्टिलेटर व आक्सिजन
के का उपयोग करने से इंफेक्शन से ब्लेक फंगस की समस्या हो सकती है।
ब्लैक फंगस ( म्यूकरमायकोसिस )से किन्हें ज्यादा खतरा- Who is More at Risk than Black Fungus ( mucormycosis )in Hindi
म्यूकरमाइकोसिस( Mucormycosis )इंफेक्शन का खतरा उन लोगो को अधिक है जो लोग डाईबिटिज , कैंसर जैसी
गंभीर बीमारीयों से पहले से ही पीड़ित थे। जो पहले से ही इन समस्यों की दवांइयो का प्रयोग कर रहें थे।
ऐसी समस्याओं से ग्रहसीत व्यक्तियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity power) पहले से ही कमजोर होता है।
और कोरोना वायरस के संक्रमण से ब्लैक फंगस और भी प्रभावित हो जाता है। इसलिए कोविड़ संक्रमण के
बाद यह अपना असर दिखाना शुरू कर देता है।
कोरोना के मरीजों को ब्लैक फंगस से ज्यादा खतरा क्यों -Why Corona Patients are More at Risk from Black Fungus in Hindi
(कोविड़-19) के मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस( Mucormycosis ) का खतरा अधिक होने के कहीं कारण हो सकतें है जैसे –
-कोरोना संक्रमण के बाद शुगर ( Diabetes)की समस्या को कंट्रोल नहीं कर पाते है।
कोरोना संक्रमण की समस्या पर सफलता पाने के लिए लम्बें समय तक स्टीरॉयड्स के उपयोग करने से शरीर में
रोगप्रतिरोधक क्षमता में परिवर्तन आ जाने के कारण।
( ICU ) में लम्बें समय तक एडमिट रहने ववेंटिलेटर के स्तेमाल करने से भी ब्लेक फंगस होने का खतरा होता है।
Voriconazole थेरेपी भी म्यूकोरमाइकासिस ब्लैक फंगस का कारण हो सकता है।
स्किन इंफेक्शन और ब्लैक फंगस में अंतर – What is the Difference Between Skin Infection and Black Fungus in Hindi
त्वचा में होने वाला फंगस इंफेक्शन (Blemishes) गुच्छे, (Clsters) गांठ , (lumps) स्किन के बीच
(Discolorration of the Skin) में दिखता है। स्किन इंफेक्शन में खुजली और जलन कि समस्या अधिक होती है।
और यह डॉक्टर की सलाह से इलाज करवाने पर जल्दी ही ठीक हो जाता है।
ब्लैक फंगस म्यूकोरमाइकासिस इंफेक्शन-( Black Fungus -Mucormycosis Infection )
यह इंफेक्शन बहुत हि रेर इंफेक्शन है जो बहुतकम देखा जाता है। लेकिन करोना वायरस संक्रमण के चलते लोगो में रोग
प्रतिरोधक क्षमता की बहुत ही अधिक कमी हुई है इसलिए यह वर्तमान अधिक प्रभाव दिखा रहा है।
ऐसी स्थिती में मुंह और आखों के पास लालिमा दिखाई देने लगती है। इसका समय पर इलाज ना होने पर यह आंखो तक
पहुच जाता है। जिसमें आखों की रोशनी चली जाती है। और अधिक इंफेक्शन के चलते यह दिमाग तक पहुच जाता है और
व्यक्ति कि मौत भी हो जाती है।
ब्लैक फंगस ( म्यूकोरमाइकासिस )के लक्षण -Symptoms of Black Fungus or Mucormycosis in Hindi
जिस प्रकार से ब्लैक फंगस ( Black Fungus) के लक्षणो के बारे बात करें तो यह इंफेक्शन केंसर से भी ज्यादा घातक बताया जा रहा हैं।
क्योंकि केंसर कुछ महिनों व साल में अपना असर दिखाता है।
लेकिन म्यूकोरमाइकासिस( Mucormycosis) का असर कुछ सप्ताह या कभी -कभी तो कुछ घंटो में ही अपना असर दिखना
शुरू कर देता जिसके लक्षण निम्न है।
- होट, नाक और आंखो के पास लाल जगह होना ।
- बुखार।
- तेज सिर दर्द रहना ।
- खांसी आना।
- सांस लेने परेशानी होना ।
- मानसिक स्थिति में बदलाव आना ।
- जबड़ो में दर्द होना ।
- धुधंला या दोहरा दिखाई देना ।
- पलको में सूजन आना ।
ब्लैक फंगस (म्युकोरमाइकोसिस) से कैसे बचें – How to Prevent Black Fungus (Mucormycosis) in Hindi
डॉक्टर और हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, अगर कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा जाऐ तो ब्लैक फंगस
(Black Fungus) से बचें रहे सकते है।
शुगर को कंट्रोल में रखें ।
(कोविड़-19) के इलाज और अस्पताल से छूटटी होने के बाद भी ब्लड़ शुगर लेवल की समय -समय पर जॉच करते रहैं।
स्टीरॉयड्स (Steroids) कम से कम और ध्यान से लें ।
-ऑक्सीजन थेरेपी (Oxygen Therapy) का उपयोग करते समय स्टेराइल किए गए पानी को उपयोग में ले।
-एंटीफंगल और एंटीबायोटिक्स दवाइयों का उपयोग डॉक्टर की सलाह व सावधानी से ही उपयोग करें ।
जब भी बाहर जाएं मास्क जरूर पहनें और धूल वाली जगह पर जानें से बचें।
मुंह धोने व नहाते समय पर्सनल हाइजिन (Personal Hygiene) का भी ध्या रखें।
ICMR (Indian Council of Medical Research) ने जारी की ब्लैक फंगस पर एडवाइजरी
म्यूकरमाइकासिस (Mucormycosis) बढ़ते हुए जानलेवा कहर को ध्यान में रखते हुए आई सी एम आर ने केंसर ,डायबिटिज के मरीजो और अन्य सामान्य व्यक्तियो के कोरोना संक्रमित व्यक्तियो के ठिक होने बाद स्वास्थ सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए
स्क्रीनिंग , डायग्नोसिस और मैनेजमेंट को लेकर प्रमाण आधारित एडवाइजरी जारी की गई है।
ब्लैक फंगस का नौजवानों में भी संक्रमण -Black Fungus Infections in Young People as well in Hindi
म्यूकरमाइकासिस (Mucormycosis )के लक्षण युवाओं व नौजवानो में भी अधिक दिखाई देने लगे है। क्योंकि कोरोनो संक्रमण के चलते कुछ
लोग शुरूआती लक्षण में बिना किसी डॉक्टर की सलाह से स्टीरॉयड्स का इस्तेमाल करते है।
जिसके चलते नौजवान भी ब्लेक फंगस का शिकार हो रहें है। जबकि ( ICMR ) की एडवाइजरी के अनुसार
स्टीरॉयड्स का उपयोग सांस लेने में परेशानी होने पर ही कम से कम 3 से 5 दिनों तक ही करना चाहिए ।
ब्लैक फंगस से संक्रमित होने पर क्या करे – What to do if Infected with Black Fungus in Hindi
अगर कोई ब्लेक फंगस( Black Fungus )के लक्षण दिखाई देने पर तुरन्त डॉक्टर से मिलकर
इलाज शुरू करवा देना चाहिए क्योंकि म्यूकरमाइकासिस को शुरूआती लक्षण दिखाई देने पर ही एंटीफंगस (Anti
Fungus )दवाओं से ठीक किया जा सकता है।
अगर यह समस्या अधिक होने पर मृत सेल्स को हटाने के दिए सर्जरी की भी आवश्यकता पड़ सकती हैं।
ब्लैक फंगस संक्रमण से होने वाली मृत्यु दर की बात करें तो यह केवल 50 प्रतिशत ही है। क्योंकि इस संक्रमण के रोगीयों
मे शुरूआती लक्षण में ही पता चलने पर एंटीफंगस दवांओ से किया जा सकता है।
डायबिटीज को नियंत्रित करना
स्टेरॉयड्स का उपयोग कम करके
इम्यूनोमॉडयूलेटिंग ड्रग्स (Immunomodulating Drugs)को पूरें तरीके से बंद करें
शरीर में पानी की मात्रा बनायें रखें।
और ब्लैक फंगस (Black Fungus) के इलाज के में कम से कम 4 से 6 सप्ताह तक एम्फोटेरिसिन-बी (Amphotericin-
B) और एंटीफंगस थेरेपी शामिल है।
ब्लैक फंगस से संक्रमित होने पर क्या न करें – What not to do if Infected with Black Fungus in Hindi
यदि किसी को भी कोरोना संक्रमण हुआ है। नाक बंद होने पर केवल जुखाम समझकर लापरवाही ना करें
नाक बंद होने या सांस लेने में परेशानी होने पर पहले फंगस इंफेक्शन टेस्ट करवां के ही उपचार करे स्वंम
हि इलाज शुरू ना करें ।
भूलकर भी धूल मिटी वाली जगह पर ना जाऐ।
क्या वैक्सीन के बाद भी हो सकता है ब्लैक फंगस – Can Black Fungus Occur Even After the Introduction of Corona Vaccine in Hindi
म्यूकरमाइकासिस (Mucormycosis )कोरोना वैंकसिन लगवाने के बाद भी हो सकता है। यह एक बहुत ही दुर्लभ बिमारी है।
जो पहले बहुत कम देखी जाती थी परन्तु कोरोना की दुसरी लहर के चलते ब्लैक फंगस की समस्या बढ़ती जा रही है
और यह कोरोनो संक्रमण से ठीक हो रहै व्यक्तियों में अधिक देखी जा रही है।
(कोविड़ -19 )की वैक्सिन की एक या दो डोज लेने के बाद यह ना समझे की कोरोना या ब्लैक फंगस से सुरक्षित है हॉ यह
हो सकता है। कि यह ज्यादा घातक ना हो लेकिन इसके लक्षण दिखने पर तुरन्त डाक्टर से मिले और उपचार शुरू कर दें।
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